“1947 से 2025: भारत की अर्थव्यवस्था का सफर”
1947 बनाम 2025: भारत की अर्थव्यवस्था का सफ़र

आज भारत दुनिया की टॉप-5 अर्थव्यवस्थाओं में है, लेकिन यह सफ़र आसान नहीं था। 15 अगस्त 1947 को जब हमने आज़ादी पाई, तब हमारी आर्थिक हैसियत आज की तुलना में बेहद छोटी थी।
1947 में भारत की आर्थिक स्थिति
- GDP का आकार: लगभग 30 अरब डॉलर (आज की तुलना में कई गुना छोटा)।
- वैश्विक हिस्सेदारी: ब्रिटिश राज से पहले भारत का हिस्सा दुनिया की GDP में ~25% था, लेकिन 1947 तक यह घटकर सिर्फ ~3% रह गया।
- औद्योगिक ढांचा: सीमित उद्योग, मुख्य रूप से जूट, कपड़ा और चाय उत्पादन।
- कृषि पर निर्भरता: 70% से ज्यादा आबादी कृषि में लगी थी।
- प्रति व्यक्ति आय: औसतन ₹250-300 सालाना (तब के मूल्य पर)।
ब्रिटिश शासन का असर
- हस्तशिल्प और कपड़ा उद्योग का पतन।
- कच्चे माल का निर्यात, तैयार माल का आयात — भारत को ‘कच्चा माल आपूर्तिकर्ता’ बना दिया गया।
- बंगाल अकाल (1943) जैसी त्रासदियां, लाखों की मौतें।
आज का भारत (2025)
- GDP: ~$4 ट्रिलियन (नाममात्र)
- वैश्विक हिस्सेदारी: ~7%
- मुख्य सेक्टर: सेवाएं, मैन्युफैक्चरिंग, IT, स्टार्टअप्स
- प्रति व्यक्ति आय: ₹2 लाख+
- वैश्विक रैंक: टॉप-5
निष्कर्ष
1947 से 2025 तक भारत ने गरीबी, औद्योगिक पिछड़ेपन और आर्थिक संकटों को पार करते हुए एक वैश्विक आर्थिक ताकत बनने का सफ़र तय किया है। यह कहानी केवल GDP के आंकड़ों की नहीं, बल्कि मेहनत, नवाचार और आत्मनिर्भरता की है।